बुधवार, 26 मई 2021

गजल

मुस्की अधर नुकाबी कत्ते
छुच्छे नयन लड़ाबी कत्ते

सहलौं बहुत कियो नै मानै
गरदनि कहू झुकाबी कत्ते

मोजर रहल कतौ नै हम्मर
दुखड़ा अपन सुनाबी कत्ते

किछु नै रहत जमा पूँजी तैं
नोरे तखन खसाबी कत्ते

कहलौं मुदा अहाँ नै एलौं
डिबिया कहू जराबी कत्ते

मात्राक्रम: 221-212-222

अभिलाष ठाकुर

विशेष

मैथिली गजल