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बुधवार, 23 मार्च 2022

गजल



आंगुर    उठा    छोपैत    जेबौ   सूनिले
कल्ला    उगा    ठोकैत   जेबौ   सूनिले

पाछू  सँ  नै  तों  आबि  आगू  घात कर
गरदनि   पकड़ि   मोकैत  जेबौ  सूनिले

लाठी  कलम  छै  चोट  सहमैं कह कते
शेरे    सँ    हम   तोड़ैत   जेबौ   सूनिले

बनबैत   रह   तों   गैंग   संभव  हो जते
भट-भट  तुरत   खसबैत  जेबौ  सूनिले

गलती जँ रहतै मानि लेबौ हँसि क' हम
गलती   बिना    फोड़ैत   जेबौ   सूनिले

                      ✍️ अभिलाष ठाकुर
मात्राक्रम अछि 2212-2212-2212
ई बहरे रजज मुसद्दस सालिम छै! 
सुक्षाव सादर आमंत्रित अछि












गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

गजल

ओ  मँगै  छथि  घीउ  गर  गर बैसले मे भात पर
कर्महीनक  बेस  सेखी  साफ  सुथरा  हाथ  पर

शुद्ध सात्विक भोजनो के बाद ओ विष पादता
दक्षिणा  के  संग  छप्पन  भोग  केरा  पात पर

नीक आ अधलाह सभ हुनके पसंदक बात अछि
गोर  दपदप  मोन  कारी  पाग  हुनके माथ पर

जड़ि सदति पहुँचा रहल रस जे हरित फुनगी रहौ
मेघ  की  बूझैत  छै  बरसैछ  पहिने  पात  पर

लोकतंत्रक  जे  मसीहा  लोक  हंता  ओ बनल
वत्स  के  रक्षा करत छै ध्यान ओकर घात पर

मात्राक्रम- 2122-2122-2122-212

✍️ विजय इस्सर

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

गजल



कुर्सीक  पाछू  तंग  मनुषता  मरल  जा रहल
रोजे  सुनी  नव बात की कते गढ़ल जा रहल

पढ़ि लीखिकेँ नेता बनब तखन बहुत हैत नां 
देखी  कते  ठां यैह उजहिया उठल जा रहल

बायो  करू  अपडेट   धरि  दिमागके  संगमे
रोकू  दहेजक  खूब  भेंट  जे चढ़ल जा रहल

नै  भाय  भैयारी  बचल  सिनेह बस नाम टा
दूरा  दालानों  खेत  अंगना  बटल  जा रहल

एथिन  पिया  से  आश  बाटमे कते दिन रही
सपना सजल हम्मर बुझाइए डहल जा रहल

मात्राक्रम अछि 2212-2212-121-2212

✍️ अभिलाष ठाकुर






रविवार, 30 जनवरी 2022

गजल

गप्प  करए  गुद्दा  क' चोकर आम सन लोक
धार  बहबै  गप्पे  सँ  बहुतो  घाम  सन लोक

मंच पर भाषण  जे  द' रहलै  तानि छाती क'
ओहनो  छै  किछु  हेंजमे  बदनाम सन लोक

मीठ  बोली   कखनो  सरोते  सन  धरै  छैक
किछु  लहड़ मारए बेस  झंडू बाम सन लोक

छै बचल किछु नै आब की राखत समटि केर
सोन  बूझय अपना क' जे छै ताम सन लोक

ई क' देलौं ओ सभ क' देलौं किछु क' नै गेल
गप्प  करए  हावा म' चक्का जाम सन लोक

                      
मात्राक्रम अछि 2122-2212-2212-21

अभिलाष ठाकुर

गजल

साँच  जे  बाजए  अहि  ठाँ  पारि  देल  जाइ  छै
फेर  झरका  क'  जंगलमे  मारि  देल   जाइ  छै

चुप्प  बैसल  प्रशासन  आबो  कियाक  छै कहू
जा  क' गोली  किया  नै  तैं  छाड़ि देल जाइ छै

बाट  जोहैत  असरा  पर  कानि छै रहल कियो
आबि  रहलौअ  बेटा  कहि  टाड़ि देल जाइ छै

किछु समय लेल लोकक आवाज सुनबए तखन
मोमबत्ती  जरा   फोटो  फारि    देल  जाइ  छै

ओझरा   देतए   फौदारी   म'   जानि  बूझिकेँ
अंतमे  घुमि  क'  सगरो हिय हारि देल जाइ छै

                          
मात्राक्रम अछि 2122-1222-2121-212

अभिलाष ठाकुर

गजल

अपनहुँ कने बदलियौ ने सभटा म' सरकारक दोष
अपने जँ छी वृद्ध पाकल बाँकी म' छै बालक दोष

चलबै  जँ नै  थाहिकेँ  आगू  फेर डूमब अछि ठीक
गलती अपन मानबै नै सदिखन कहब धारक दोष

करबै  कर्म  थोड़बो  नै   सभ  भेटए  बैसल  ठाम 
झुठ्ठे  क' छी  माथ  पिटने  देबै तखन भागक दोष 

नै  भुक्त  आ  भोग्य  बूझै  छी राशि नै कोनो लग्न
तैयो  अहाँ  कहि रहल छी अगबे कते मारक दोष 

सुर-तालके  ज्ञान  नै जकरा ओकरो बड़ बड़ बात
ताली जँ नै भेटि रहलै सभटा तखन साजक दोष 

                                       
मात्राक्रम अछि 2212-2122-2212-2221

अभिलाष ठाकुर

गजल

कलमक हथियार सन हथियार की हेतै
धड़गड़ जिह्वा सनक  तलवार की  हेतै

चाहे  राखू  जते  बुधियार  घर  नोकर
पोसल  कुत्ता  सनक  रखबार की हेतै

तेरहमे  जाहि  ठां  संतान  घर जन्मय
फेरो  सोलह  उमरि  कचनार की  हेतै

जे  पठबै  छैक  माँ बाबू क' वृद्धाश्रम
भेने  ओ  चौड़गर   परिवार  की   हेतै

जइ  रचनामे  बहर आ काफिया नै छै
रखने  शीर्षक  गजल भरमार की हेतै

                     
मात्राक्रम अछि 2222-1222-1222
सभ पाँतिमे! सुझाव आमंत्रित अछि 💐

अभिलाष ठाकुर

शनिवार, 29 जनवरी 2022

गजल

जे  सत्य  छै  ओकरा   काटल  नै  जा सकैए
नाँगरि क' सटका तखन भागल नै जा सकैए

देखा रहल की करै छी मूनल आँखि नै अछि
पातर  नजरि  छै  बहुत  बाँचल नै जा सकैए

भाँजू न लाठी तकर  ड'र नै हमरा कनिक्को
बच्चा  जकाँ  बूझि  परतारल  नै  जा सकैए

छी  चुप्प  हम  देखि  तैं बजने जै छी अनेरो
मजगूत  छै  यौ  कलम  तोड़ल नै जा सकैए

लागल  उपरका  धुआ  जाए  कोनो  धरानी
भीतर   बला  गंदगी  झारल  नै  जा  सकैए

                           
मात्राक्रम 2212-2122-2221-22
अभिलाष

गजल

की कहब कोना रहैछी बिनु अहाँ केँ
नै जिबै छी बस मरैछी बिनु अहाँ केँ

भोर कहुना काटि लै छी राति अखरै
संग तकिये हम लड़ैछी बिनु अहाँ केँ

की  करी  कोना  रही सभ काट'दौड़ै
आब बहुते दुख सहैछी बिनु अहाँ केँ

आब  कखनो  दूर  नै  जै देब कहियो
आब नै हम रहि सकैछी बिनु अहाँ केँ

छोड़ि दै छी काज सभटा किछु फुरै नै
बैसि  तैं  शब्दे  गहैछी  बिनु  अहाँ  केँ

मात्राक्रम 2122-2122-2122
(बहरे रमल) फाइलातुन×3

अभिलाष ठाकुर

गजल

गप्प बजलौं सोझ तैं बारल गेल छी
भोथ छै कोदारि धरि तामल गेल छी

चोर बाजै जोर कतबो किछु नै तकर
बाल  बच्चा  बूझि परताड़ल गेल छी

जे रचल तकरा बदलि नै सकतै कियो
जीवनक  कंसारमे  लाड़ल  गेल  छी

की कही कोना कही  दुख एते अपन
आन  नै  अपने   सँ तैं मारल गेल छी

नै करब  हम प्रेम  कतबो करबै अहाँ
स्नेम मे  पूर्वहि सँ हम तागल गेल छी

                        
                        
मात्राक्रम  2122-2122-2212 


अभिलाष ठाकुर

गजल

 


तकियाक  तूर  सन  दबाएल  छी  कतेको बेर

अप्पन अछैत  हम बझाएल  छी  कतेको  बेर


बूझैत सभ अकान छी देखि ई समाजक खेल

परतारि  बाल  सन  ठकाएल छी  कतेको बेर


जीवन बहुत नचेलकै नाच  के करत प्रतिकार

पीलहुँ  कहाँ  मुदा  झखाएल  छी कतेको बेर


आयल विपति बनाक' रस्ता सहैत रहलौं खूब

उठबैत  बोझ  थड़-थड़ाएल  छी  कतेको  बेर


ठोकड़ सिखा रहल कते डेग डेग पर अभिलाष

दुख   केर  आँचमे  पकाएल  छी  कतेको  बेर


मात्राक्रम  २२२१-२१२-१२२-१२१-२२२१


अभिलाष ठाकुर

गजल

हमरा लेल करेजा धड़कैत हेतौ तोरो
अदहा रातिक' सपना जगबैत हेतौ तोरो

उड़लै नींद हमर जहिये छोड़ि तों चलि गेलैं
कारी राति भयाबह डरबैत हेतौ तोरो

केना जीब रहल छी घुटि घुटि क' के देखत ई
ओना नोर त ठीके झहरैत हेतौ तोरो

तों मजबूर छलैं से कहि कात होइत गेलैं
हमरा सूनि दरदमे टहकैत हेतौ तोरो

तोहर याद रहत जाबे जीब सकबै अहि ठां
चिठ्ठी देल हमर मन पारैत हेतौ तोरो

मात्राक्रम: 2221-1222-2122-22

अभिलाष ठाकुर

बुधवार, 26 मई 2021

गजल

मुस्की अधर नुकाबी कत्ते
छुच्छे नयन लड़ाबी कत्ते

सहलौं बहुत कियो नै मानै
गरदनि कहू झुकाबी कत्ते

मोजर रहल कतौ नै हम्मर
दुखड़ा अपन सुनाबी कत्ते

किछु नै रहत जमा पूँजी तैं
नोरे तखन खसाबी कत्ते

कहलौं मुदा अहाँ नै एलौं
डिबिया कहू जराबी कत्ते

मात्राक्रम: 221-212-222

अभिलाष ठाकुर

शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

गजल

अहाँ बिना सिन्दुर पिठार की हेतै
अहाँ बिना पावनि तिहार की हेतै

अहीं हमर छी देवता अहीं स्वामी
अहाँ बिना जीवन सकार की हेतै

भरोस नै अछि जे कखन अहाँ आयब
अहाँ बिना बिन्दी कपाड़ की हेतै

कते करी असगर पुजाक तैयारी
अहाँ बिना सौंसे हकार की हेतै

बहुत फरल अछि आम आउ ने गामे
अहाँ बिना फारा अचार की हेतै

मात्राक्रम: 1212-2212-1222

अभिलाष ठाकुर









विशेष

मैथिली गजल