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रविवार, 8 मई 2022
बुधवार, 23 मार्च 2022
गजल
आंगुर उठा छोपैत जेबौ सूनिले
कल्ला उगा ठोकैत जेबौ सूनिले
पाछू सँ नै तों आबि आगू घात कर
गरदनि पकड़ि मोकैत जेबौ सूनिले
लाठी कलम छै चोट सहमैं कह कते
शेरे सँ हम तोड़ैत जेबौ सूनिले
बनबैत रह तों गैंग संभव हो जते
भट-भट तुरत खसबैत जेबौ सूनिले
गलती जँ रहतै मानि लेबौ हँसि क' हम
गलती बिना फोड़ैत जेबौ सूनिले
✍️ अभिलाष ठाकुर
मात्राक्रम अछि 2212-2212-2212
ई बहरे रजज मुसद्दस सालिम छै!
सुक्षाव सादर आमंत्रित अछि
गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022
गजल
ओ मँगै छथि घीउ गर गर बैसले मे भात पर
कर्महीनक बेस सेखी साफ सुथरा हाथ पर
शुद्ध सात्विक भोजनो के बाद ओ विष पादता
दक्षिणा के संग छप्पन भोग केरा पात पर
नीक आ अधलाह सभ हुनके पसंदक बात अछि
गोर दपदप मोन कारी पाग हुनके माथ पर
जड़ि सदति पहुँचा रहल रस जे हरित फुनगी रहौ
मेघ की बूझैत छै बरसैछ पहिने पात पर
लोकतंत्रक जे मसीहा लोक हंता ओ बनल
वत्स के रक्षा करत छै ध्यान ओकर घात पर
मात्राक्रम- 2122-2122-2122-212
✍️ विजय इस्सर
मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022
गजल
कुर्सीक पाछू तंग मनुषता मरल जा रहल
रोजे सुनी नव बात की कते गढ़ल जा रहल
पढ़ि लीखिकेँ नेता बनब तखन बहुत हैत नां
देखी कते ठां यैह उजहिया उठल जा रहल
बायो करू अपडेट धरि दिमागके संगमे
रोकू दहेजक खूब भेंट जे चढ़ल जा रहल
नै भाय भैयारी बचल सिनेह बस नाम टा
दूरा दालानों खेत अंगना बटल जा रहल
एथिन पिया से आश बाटमे कते दिन रही
सपना सजल हम्मर बुझाइए डहल जा रहल
मात्राक्रम अछि 2212-2212-121-2212
✍️ अभिलाष ठाकुर
रविवार, 30 जनवरी 2022
गजल
गप्प करए गुद्दा क' चोकर आम सन लोक
धार बहबै गप्पे सँ बहुतो घाम सन लोक
मंच पर भाषण जे द' रहलै तानि छाती क'
ओहनो छै किछु हेंजमे बदनाम सन लोक
मीठ बोली कखनो सरोते सन धरै छैक
किछु लहड़ मारए बेस झंडू बाम सन लोक
छै बचल किछु नै आब की राखत समटि केर
सोन बूझय अपना क' जे छै ताम सन लोक
ई क' देलौं ओ सभ क' देलौं किछु क' नै गेल
गप्प करए हावा म' चक्का जाम सन लोक
मात्राक्रम अछि 2122-2212-2212-21
अभिलाष ठाकुर
गजल
साँच जे बाजए अहि ठाँ पारि देल जाइ छै
फेर झरका क' जंगलमे मारि देल जाइ छै
चुप्प बैसल प्रशासन आबो कियाक छै कहू
जा क' गोली किया नै तैं छाड़ि देल जाइ छै
बाट जोहैत असरा पर कानि छै रहल कियो
आबि रहलौअ बेटा कहि टाड़ि देल जाइ छै
किछु समय लेल लोकक आवाज सुनबए तखन
मोमबत्ती जरा फोटो फारि देल जाइ छै
ओझरा देतए फौदारी म' जानि बूझिकेँ
अंतमे घुमि क' सगरो हिय हारि देल जाइ छै
मात्राक्रम अछि 2122-1222-2121-212
अभिलाष ठाकुर
गजल
अपनहुँ कने बदलियौ ने सभटा म' सरकारक दोष
अपने जँ छी वृद्ध पाकल बाँकी म' छै बालक दोष
चलबै जँ नै थाहिकेँ आगू फेर डूमब अछि ठीक
गलती अपन मानबै नै सदिखन कहब धारक दोष
करबै कर्म थोड़बो नै सभ भेटए बैसल ठाम
झुठ्ठे क' छी माथ पिटने देबै तखन भागक दोष
नै भुक्त आ भोग्य बूझै छी राशि नै कोनो लग्न
तैयो अहाँ कहि रहल छी अगबे कते मारक दोष
सुर-तालके ज्ञान नै जकरा ओकरो बड़ बड़ बात
ताली जँ नै भेटि रहलै सभटा तखन साजक दोष
मात्राक्रम अछि 2212-2122-2212-2221
अभिलाष ठाकुर
गजल
कलमक हथियार सन हथियार की हेतै
धड़गड़ जिह्वा सनक तलवार की हेतै
चाहे राखू जते बुधियार घर नोकर
पोसल कुत्ता सनक रखबार की हेतै
तेरहमे जाहि ठां संतान घर जन्मय
फेरो सोलह उमरि कचनार की हेतै
जे पठबै छैक माँ बाबू क' वृद्धाश्रम
भेने ओ चौड़गर परिवार की हेतै
जइ रचनामे बहर आ काफिया नै छै
रखने शीर्षक गजल भरमार की हेतै
मात्राक्रम अछि 2222-1222-1222
सभ पाँतिमे! सुझाव आमंत्रित अछि 💐
अभिलाष ठाकुर
शनिवार, 29 जनवरी 2022
गजल
जे सत्य छै ओकरा काटल नै जा सकैए
नाँगरि क' सटका तखन भागल नै जा सकैए
देखा रहल की करै छी मूनल आँखि नै अछि
पातर नजरि छै बहुत बाँचल नै जा सकैए
भाँजू न लाठी तकर ड'र नै हमरा कनिक्को
बच्चा जकाँ बूझि परतारल नै जा सकैए
छी चुप्प हम देखि तैं बजने जै छी अनेरो
मजगूत छै यौ कलम तोड़ल नै जा सकैए
लागल उपरका धुआ जाए कोनो धरानी
भीतर बला गंदगी झारल नै जा सकैए
मात्राक्रम 2212-2122-2221-22
अभिलाष
गजल
की कहब कोना रहैछी बिनु अहाँ केँ
नै जिबै छी बस मरैछी बिनु अहाँ केँ
भोर कहुना काटि लै छी राति अखरै
संग तकिये हम लड़ैछी बिनु अहाँ केँ
की करी कोना रही सभ काट'दौड़ै
आब बहुते दुख सहैछी बिनु अहाँ केँ
आब कखनो दूर नै जै देब कहियो
आब नै हम रहि सकैछी बिनु अहाँ केँ
छोड़ि दै छी काज सभटा किछु फुरै नै
बैसि तैं शब्दे गहैछी बिनु अहाँ केँ
मात्राक्रम 2122-2122-2122
(बहरे रमल) फाइलातुन×3
अभिलाष ठाकुर
गजल
गप्प बजलौं सोझ तैं बारल गेल छी
भोथ छै कोदारि धरि तामल गेल छी
चोर बाजै जोर कतबो किछु नै तकर
बाल बच्चा बूझि परताड़ल गेल छी
जे रचल तकरा बदलि नै सकतै कियो
जीवनक कंसारमे लाड़ल गेल छी
की कही कोना कही दुख एते अपन
आन नै अपने सँ तैं मारल गेल छी
नै करब हम प्रेम कतबो करबै अहाँ
स्नेम मे पूर्वहि सँ हम तागल गेल छी
मात्राक्रम 2122-2122-2212
अभिलाष ठाकुर
गजल
तकियाक तूर सन दबाएल छी कतेको बेर
अप्पन अछैत हम बझाएल छी कतेको बेर
बूझैत सभ अकान छी देखि ई समाजक खेल
परतारि बाल सन ठकाएल छी कतेको बेर
जीवन बहुत नचेलकै नाच के करत प्रतिकार
पीलहुँ कहाँ मुदा झखाएल छी कतेको बेर
आयल विपति बनाक' रस्ता सहैत रहलौं खूब
उठबैत बोझ थड़-थड़ाएल छी कतेको बेर
ठोकड़ सिखा रहल कते डेग डेग पर अभिलाष
दुख केर आँचमे पकाएल छी कतेको बेर
मात्राक्रम २२२१-२१२-१२२-१२१-२२२१
अभिलाष ठाकुर
गजल
हमरा लेल करेजा धड़कैत हेतौ तोरो
अदहा रातिक' सपना जगबैत हेतौ तोरो
उड़लै नींद हमर जहिये छोड़ि तों चलि गेलैं
कारी राति भयाबह डरबैत हेतौ तोरो
केना जीब रहल छी घुटि घुटि क' के देखत ई
ओना नोर त ठीके झहरैत हेतौ तोरो
तों मजबूर छलैं से कहि कात होइत गेलैं
हमरा सूनि दरदमे टहकैत हेतौ तोरो
तोहर याद रहत जाबे जीब सकबै अहि ठां
चिठ्ठी देल हमर मन पारैत हेतौ तोरो
मात्राक्रम: 2221-1222-2122-22
अभिलाष ठाकुर
अदहा रातिक' सपना जगबैत हेतौ तोरो
उड़लै नींद हमर जहिये छोड़ि तों चलि गेलैं
कारी राति भयाबह डरबैत हेतौ तोरो
केना जीब रहल छी घुटि घुटि क' के देखत ई
ओना नोर त ठीके झहरैत हेतौ तोरो
तों मजबूर छलैं से कहि कात होइत गेलैं
हमरा सूनि दरदमे टहकैत हेतौ तोरो
तोहर याद रहत जाबे जीब सकबै अहि ठां
चिठ्ठी देल हमर मन पारैत हेतौ तोरो
अभिलाष ठाकुर
बुधवार, 26 मई 2021
गजल
मुस्की अधर नुकाबी कत्ते
छुच्छे नयन लड़ाबी कत्ते
सहलौं बहुत कियो नै मानै
गरदनि कहू झुकाबी कत्ते
मोजर रहल कतौ नै हम्मर
दुखड़ा अपन सुनाबी कत्ते
किछु नै रहत जमा पूँजी तैं
नोरे तखन खसाबी कत्ते
कहलौं मुदा अहाँ नै एलौं
डिबिया कहू जराबी कत्ते
छुच्छे नयन लड़ाबी कत्ते
सहलौं बहुत कियो नै मानै
गरदनि कहू झुकाबी कत्ते
मोजर रहल कतौ नै हम्मर
दुखड़ा अपन सुनाबी कत्ते
किछु नै रहत जमा पूँजी तैं
नोरे तखन खसाबी कत्ते
कहलौं मुदा अहाँ नै एलौं
डिबिया कहू जराबी कत्ते
मात्राक्रम: 221-212-222
अभिलाष ठाकुर
अभिलाष ठाकुर
शुक्रवार, 10 जुलाई 2020
गजल
अहाँ बिना सिन्दुर पिठार की हेतै
अहाँ बिना पावनि तिहार की हेतै
अहीं हमर छी देवता अहीं स्वामी
अहाँ बिना जीवन सकार की हेतै
भरोस नै अछि जे कखन अहाँ आयब
अहाँ बिना बिन्दी कपाड़ की हेतै
कते करी असगर पुजाक तैयारी
अहाँ बिना सौंसे हकार की हेतै
बहुत फरल अछि आम आउ ने गामे
अहाँ बिना फारा अचार की हेतै
मात्राक्रम: 1212-2212-1222
अभिलाष ठाकुर
अहाँ बिना पावनि तिहार की हेतै
अहीं हमर छी देवता अहीं स्वामी
अहाँ बिना जीवन सकार की हेतै
भरोस नै अछि जे कखन अहाँ आयब
अहाँ बिना बिन्दी कपाड़ की हेतै
कते करी असगर पुजाक तैयारी
अहाँ बिना सौंसे हकार की हेतै
बहुत फरल अछि आम आउ ने गामे
अहाँ बिना फारा अचार की हेतै
मात्राक्रम: 1212-2212-1222
अभिलाष ठाकुर
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