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शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

मिसिदा मिथि कऽ कहल ११टा गजल

1.

इशारा हमर केकरो ओ बतौलक कि नहि
सगर ढ़ोलहा जा पिटौलक कि नहि

जमाना सँ ओ खुद नुकौने छलै
तखन आबि नोरो खसौलक कि नहि

कहै छै कसम खा अहीं छी हमर
गिरह बांधि आँगुर घुमौलक कि नहि

पता नहि लिखल की हमर भाग मे
बजा आनि जोतिख पढ़ौलक कि नहि

तरसि गेल नैना हुनक आस मे
ओ औतै सनेसा पठौलक कि नहि

सतौलहुँ कते घुरि क' आबू प्रिये
कहू याद कखनो कनौलक कि नहि
✍️मिसिदा
122-122-122-12

2.

बहुत बात छल कहि ने सकलहुँ अहाँकेँ
उदासे रहल मोन सुनितहुँ अहाँकेँ

कनै छल पपीहा सुना सब पिहानी
खसल नोर सुनि हम कि कहितहुँ अहाँकेँ

भरम मे घुरै छी शहर हम कतेको
भरल लोक सब बीच तकलहुँ अहाँकेँ

पढ़ल पाँति प्रेमक गजल गाबि देलहुँ
कहू कोन मुँह नोर पिबतहुँ अहाँकेँ

जरा घर अपन हम भरो राति कनलहुँ
छलै दोष केहन ने पुछलहुँ अहाँकेँ
✍️मिसिदा
122-122-122-122

3.

छी कदलि सन शोर हम की करबै
नहि, अहाँ ल'ग जोर हम की करबै

नव शहर मे बनि मुसाफिर एलहुँ
एत' छै सब चोर हम की करबै

छोड़ि असगर बाट मे चलि देलहुँ
आब झहरै नोर हम की करबै

खसि रहल छै पात हरियर देखू
सून मायक कोर हम की करबै

छीतरल यै लाश जेन्ने-तेने
लाज नहि छै थोड़ हम की करबै

आस धेने आब भिनसर हेतै
छूबि लेबै गोर हम की करबै
✍️मिसिदा
2122-2122-22

4.

भोगि लिय जिनगी के रोकत
मोल नहि घामक के जोखत

मरि रहल छै लोक सभतरि
नोर घर-घर जा, के पोछत

चलि रहल छै खेल नमहर
बेइमानी पर, के टोकत

तानि तौनी सुति रहू ने
खाली छै जेबी, के टोबत

मोल छै बस एक मुस्की
ठोर पर मिसरी के घोरत
✍️मिसिदा
2122-2122

5.

अहाँ सजियौ ने साजन पाग बनिकेँ
चलू नैना बझायब ताग बनिकेँ

तकै छी बाट हम रहि-रहि क' सजना
अहाँ अबियौ सिनेहक भाग बनिकेँ

सुनैए चार पर बैसल पपीहा
बहै छै नोर ओकर फाग बनिकेँ

लिखै छी गीत मे विरहाक पाँती
किचारै यै सखी सभ काग बनिकेँ

सुनायब नहि अपन प्रेमक कहानी
रहब हमहीं हिया मे राग बनिकेँ
✍️मिसिदा
1222-1222-122




6.

भरि नगर नय मीत भेंटल
संग छल नय प्रीत भेंटल

मीठ माहुर घात ओकर
बात मे नय जीत भेंटल

देखलहुँ हम रीत सभटा
भाव मे नय नीत भेंटल

शब्द बिछ हम सुर बनौलहुँ
स्वर मे नय गीत भेंटल

भोर भेलै आब मिसिदा
एखनो नय हीत भेंटल
✍️मिसिदा.
2122-2122

7.

अहाँ चान नहि जान छी प्रिय
रचल भाग के मान छी प्रिय

गबै छी विरह गीत हम आब
पपीहाक हम तान छी प्रिय

गजल छी अहाँ हम बहर सन
सजल शेर वरदान छी प्रिय

हँसै छी कते कोन दुख मे
नुकैबै त' नादान छी प्रिय

रहब संग सदिखन कहै छी
अहीं आब मुस्कान छी प्रिय

122-122-122

8.

देखि हमरा अहाँ गप्प मटियाउ ने
गप्प आगू करू बेस मिझराउ ने

मोन मे होइए संग रहितहुँ अहाँ
ढ़ंग लदबै कते आइ फरिछाउ ने

लोक मानै कहाँ लाँघि चलि देलकै
आबि हौले अहाँ दर्द सहराउ ने

मोन मे छी बस अहीं टा यै सजन
डोरि नेहक कने आबि पकड़ाउ ने

भोर हेतै जखन देखबै हम तखन
आब सूरत अपन छोपि ललचाउ ने
✍️मिसिदा
212-212-212-212

9.

किनका सँ हम आस करू
फूटा क' नहि वास करू

बेकार छै बात सहब
बूझैत सब खास करू

सोचैत छी घात हुनक
ओतेक की चास करू

कोना क' इंसान रहत
एना त' नहि भास करू

मिसिदा त' बदनाम बहुत
गुमनाम रहि रास करू
✍️मिसिदा
221-221-12

10.

हमर त' बनितै अहाँ संग जोड़ी यै
होली खेलतहुँ पकड़ि बलजोरी यै

मोन पियासले गावि गेलहुँ चैती
नजरि झुका क' आवि जाऊ गोरी यै

डेग राखि पाछाँ चलू संग सदिखन
बान्हि केँ राखब नेहक डोरी यै

अहाँ छी सितारा हम बामहि राखब
आँखि मिलाएब नहि करब चोरी यै

पी केर विरह मे पीहकै पपीहा
सिहकै हिया सुनू हमर चिकोरी यै
✍️मिसिदा.
222-222-222-2

11.

तोहर नजरि छौ सत्ते आला
टघरै टपा टप अगवे हाला

झांझर त' झन-झन झनकौ तोहर
झनझून    कानक   बाजे    बाला

छूबितहुँ   हम   लागल  छौ  पहरा
धधरा    लगा    ओ   जापे   माला

भींजल  हिया की कहितहुँ प्रियवर
कोहबर   मे    छल  सजले  डाला

किनका  सँ  कहबै  मिसिदा गाथा
सभहक    हिया   मे  सौंसे  जाला
                             ✍️मिसिदा
221-222-222

विशेष

मैथिली गजल