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सोमवार, 31 जनवरी 2022

भक्ति गजल

चाकर  एक  बेर  राखि  क'  देखू  सभटा  अहाँकेँ टहल करब
पीसब भाँग नित्य आबि क' जे जे कहबै प्रभू हम कहल करब

डरबै  भूत  नै  पिसाच  सँ  कहियो  सेवा  सदति  होइते रहत
रहबै  घर  त' घर म' सदिखन आ बाहरमे मशानो रहल करब

नंदी  केर  ध्यान  हम  रखबै   भगतै  दौड़िकेँ  जा  क'  रोमबै
दोसर  ठाम  नै  कतौ  हम  जेबै भरि जीवने हम बहल करब

पूजा  केर  ओरियान  क'  नित्तहुँ देखब तखन और काज हम
नव नव फूल ताकि हेरि क' छोड़ब नै हम चरणमे गहल करब 

मालिक  एतबी  दया  करियौ  ने हे नोकरी पर म' राखि लिअ
कतबो काज माँथ पर रहतै नामे जापि सभ दुख सहल करब 
                                  
मात्राक्रम: २२२१-२१२१-१२२२-२१२२-१२१२

अभिलाष ठाकुर








रविवार, 30 जनवरी 2022

भक्ति गजल

करै  छी  वन्दना  जगतारिणी   माँ  जानकी की जय
हरू  दुख  कष्ट  सभ हे मैथिली माँ जानकी की जय

बहुत  हम  पाप  केने  छी   करू  उद्धार  हे  जननी
जपै छी  नाम हम  कात्यायिनी माँ जानकी की जय

कते  कानू  कते  खीजू  नजरि  खोलू  न'  आबो माँ
भुखल छी नेह लै बस पाबि ली माँ जानकी की जय

धरा  पर  आबि  जन्मू  फेर  ताकय  बाट सभ मैया 
उगै  सोना  गमकि  पातालिनी माँ जानकी की जय

धरै  छी  आश हम मैया सुनब अरजी अपन पूतक
कहै  अभिलाष   हे उद्धारिणी माँ जानकी की जय

                                      

ई बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम छैक
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222

अभिलाष ठाकुर
 

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