गुरुवार, 24 मार्च 2022

प्रदीप पुष्पक कहल १० टा गजल


साँझ  रही  हम  पराती  रही  हम
तोहर   कबूला   पाती   रही   हम

तूँ    मूँड़ी  झुका   बेदी   त'र  छलें
अक्षत   छिटैत   बराती  रही  हम

आइ  अन्हरिया  नाम  हमर  अछि
सुन   कहियो  दियाबाती  रही हम

सुरूज  घोटिं   देवता  नइ   बनलौं
छी   बानरे     उत्पाती   रही    हम

हमरा   मतलब  छ'ल  एक  तोरेसँ
नइ  समाजक  अवघाती  रही  हम

ओ   पोथी   फाड़ि   फेंक  देलें  की
जाहिमे   पहिलुक  पाँती  रही  हम
  
     


खनहि झाँपब  खन देह  हम ऊघार  करबै
पिया  औथिन  हम  सोलहो  सिंगार करबै

रहत  चुप्पे  ई ठोर  बाजत  नै तखन किछु 
चला   जुल्मी  नैनक   कटारी  वार   करबै 

पहिरि   वासंती  वस्त्र   बैसब सेज पर हम 
हुनक  सब  मनमानी सहज स्वीकार करबै

नुकौने  कंतक  लेल  सुख  नाना   प्रकारक
सकल दुख हुनकर हँसि क'अंगीकार करबै

रहत  अंतर  किछु नै सजन-सजनीक मध्य
वसन  लाजक  तजि   नेह  एकाकार करबै

       ( १२२२  २२१२ २२१२ २,मकताक पहिल मिसराक अंतिम ह्रस्व दीर्घ मानल गेल अछि। मतला सहित आनो शेर पर बाबा विद्यापति जीक प्रभाव।)



राति छोट  मुदा  पिहानी  नमहर केने जो
रंगि  मुँह -कान किरदानी नमहर केने जो

तोरा  उड़ीस  मारैले   कहने  रहियौ  हम
उनटे  तूँ   मच्छरदानी   नमहर  केने  जो

संगतमे  सुर  कोनो  विरोधी लगौ जखने
तूँ  गबैयाक  कालापानी  नमहर केने जो

भोंटक  चंदा  भेटैत  रहौ  सबदिस तें  तूँ
बेचि क' तगमा जजमानी नमहर केने जो

तूँ  गाँधीकें  फूल- माला   सेहो   चढ़ा आ 
गोड्से  पर  खर्चा- पानी नमहर  केने जो




कतिया  दे  आ   चल टारि  दे  हमरा
बिसरल  हेतौ  त'  बिसारि  दे  हमरा

बूझल  अछि तोहर थाह- साहित्यिक
नाँ  गजलक  अबितहि गारि दे हमरा

बरु    काजक       बाद   भगा   दिहें
जाबत खगता     पुचकारि   दे  हमरा

हम   शत्रुक  बीच  बचौने छी इज्जति
तूँ   मीता   बनि   क'  उघारि दे हमरा

सबटा फल फूल ल' जो अपन घर तूँ
दे    तुलसी  आ   परतारि   दे  हमरा

हम देलौं सोंपि अपन सकल जिनगी
तूँ  एत्ते     कर  बस   मारि  दे  हमरा

         मात्राक्रम-(२२२२११२१२२२,)




गहूमक   बीच  जेंकल  मड़ुआक  बोरे  जकाँ
छी   मैलमूँह   हमहूँ    लोक   छी  तोरे   जकाँ

दूगो    बोली   सिनेहक   लागै   नीक   हमरो
गप्प   अपमानक    लागै   छै    अंगोरे   जकाँ

टूटै   छै   त'   नै   जूटै   छै   ई   बिन  गिरहकें
प्रेम   हमरो   छै   तन्नुक   अनमन  डोरे जकाँ

हमरा   भरोस  संतोषक   सुख   पर   हरिदम
अखरे   फुटहो   लगै   छै    तिलकोरे     जकाँ

मनुक्ख  मनुक्खक क'रत नै सम्मान जँ कत्तौ
शोणित  हमरो   छै  धिप्पले   इनहोरे     जकाँ



 ६

फ्रेम   टांगल  छै   चित्र  उखाड़ि   देलौं
कानि  भरि  मोन  तोरा  बिसारि  देलौं

पएर  ठमकल  तोहर  दलान  ल'ग  जे
छाती  पाथर   क'  डेग  ससारि   देलौं

आस  छल  जिनगी  रचबै  गजल जेना
बहर  कठिन  छै  हम   हिया  हारि देलौं

पराजय    देखल    नै   गेल    तोहर  तें
हम  अपने   अपनाकेँ    बजारि     देलौं

तूँ     पीठेमे    चक्कू     भोकबें       कते
तोरा      लेल     छाती    उघारि     देलौं

लोक  अछियो  पर   पूछै   के    मारलक
हम  हँसि  नाओं  अपने    उचारि    देलौं
  
   

दीप सबटा मिझा गेलै तोहर मिलनक आस केर
तैयो भरि क' रखने छी टाड़ा अपन विश्वास केर

फूँकैत  रहै जे  हेमनि  धरि  शंख   जनवादी भेल
आइ  ओ नटुआ भेल छै सोझामे  किछु खास केर

नव  रहै  व्यापार  हमर  सुगंधकेर  शिकारी रही
बूझि  गुलाब  चूमि लेलौं  तें  ठोर हम पलास केर

जे  सोझा  साष्टांग करै  पान करै    चरणोदककें
पीठ  पाछू  ओ  गाबै   खिस्सा  हमर उपहास केर

भेंट अंतिम  क'  ले  आबो प्राण छूटि जेतैक हमर
जा  रहल पुष्प साड़ा   सपना लेने  रनिवास केर



जकरा कहबा ले' कोनो नव बात रहल हेतै
ओ  भीड़  बनल नै   हेतै  कात  रहल  हेतै

हमरा   मारत से  कोनो  शत्रुक  तागति  नै
निश्चित   ई  कोनो  मित्रक घात  रहल  हेतै

बारिक   चिन्है  छै   पहिने  गेने   की    हेतै
सबहक  बादे   सोझामे  पात    रहल   हेतै

प्रतिभा रहितो ओ नै भेल सफल  जीवनमे
साइत  छिटकी मार'  बला  लात  रहल हेतै

सोलह चक्का त'र जा  बचलै कोना  छौंड़ा
ओकर  माँक  लगै  जितिया प्रात रहल हेतै

काका आ  भैयाक  बलेँ  जे  धरतै   माइक
ओकर  कविता  बस  माँछे-भात रहल हेतै

       (२२२२२२२२२२२२, बहरे-मीर



कतेक  लेबै  नहर-रोड   कतेक  रोजगार  चाही
बरखा  विकासक  हेतै  कहू कै टा अछार चाही

पांच  साल  बाद एतै खादी पहिरि शिकारी फेर
नै फँसतै  आब  जालमे  सुग्गा  समझदार चाही

यौ  उद्घाटनसँ  पहिले  पुल जाइ  पताल जेकर
से  हेहरा  कहै  फेर  हमरे  सन  सरकार  चाही

उजड़ै गरीबक घर कतौ  आकि मरै पूत कमौआ
हमरा ले'धनि सन बस  कंगनाक समाचार चाही

कनेक उचित शब्द जे कहत लोक देशद्रोही हैत
हिनका  खाली  चारण भेल टीवी -अखबार चाही

नीक  बात बरख  पचासकेर  अभियंता नै चलतै
मुदा  की  सत्तरिकेर  जुअनका  चौकीदार  चाही

अरजल   पुरखाकेर   सब  बेचि  रहलै   बेराबेरी
कोंढ़ियाँकेँ  बेसी  नै  भाषणमे   फुफकार  चाही

       ( बहरे- मीर)


१०

पूँजी   लुटबा   क'  नोंकसान  केलें
रे  जिनगी   तूँ    बहुत  हरान   केलें

मँगलौं  मुस्की  बहुत जतनसँ तहनो
नोरे   हमरा   ले   ओरियान     केलें 

सपना   छाल्हीक   देखने   रहै   जे
तकरे   तूँ   बूढ़   गाय   दान    केलें

अरुदा  छौ  चारि दिन तहन किए तूँ
फुसिए   यौवनक  कठ- गुमान केलें

जे  कहियो  नै   बनत  हमर जनै छी
की   ले   तकरे   हमर   परान   केलें

   (२२२२१२१२१२२, सब पाँतिमे।एक ठाम मात्रा खसाओल अछि)

बुधवार, 23 मार्च 2022

पूनम झा सुधाक कहल ५ टा गजल

लोकक त' किरदानी देखि क्षुब्ध छी
ओकर त' शैतानी देखि क्षुब्ध छी
    
जकरे म' पूरा विस्वास भेल छल         
तकरो त' मनमानी देखि क्षुब्ध छी
    
साओन भादो सन आँखि भेल अछि
झूठे क' फिरशानी देखि क्षुब्ध छी
   
अप्पन कहाँ बुझलक आन मानए
सत्ते म' दरबानी देखि क्षुब्ध छी 
   
जकरा त' नहि भेटल नेह मायकेँ       
ओकर पहलवानी देखि क्षुब्ध छी 
   
दुनिया म' गप्पी खूबे घुमय बुझू
अपनो क' बइमानी देखि क्षुब्ध छी  
         
मात्राक्रम - 2212-2221-212

दुनू आँखि हमर आब कमला धार भेल अछि
जिनगी काटब त' बुझू हमर पहाड़ भेल अछि
  
नहि आस अछि ने कनियो आब विस्वास रहल 
देखू न सौँसे रावणक संसार भेल अछि

झूठ धोखा बइमानी देखि मनमे सभहक
देखू सभटा एतय आ देखार भेल अछि
         
हमरे किए डँसै छै से नहि जानि सभकियो
देखियौ आब केना अत्याचार भेल अछि
  
निर्दोष छलहुँ हम ओ दोषी कहए हमरा
हमर तनमन त' सत्ते बुझू बिमार भेल अछि 
     
 मात्राक्रम- 22-22-22-22-22-22
(बहरे - मीर पर आधारित छैक )
दूटा अलग-अलग लघु के दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल छैक ।

कनि प्रेमक बात अहाँ जे करितौ प्रिय
 फेर अहींकेँ हृदयमे त' बसितौ प्रिय 
 
छी भोरुक किरण अहाँ हमरा लेखे
हमर चान सनकेँ मुँह त' देखितौ प्रिय 

हमर नस- नसमे अहीं बसल छी सुनू
मान हमर त' कनियो आब रखितौ प्रिय 
     
साँच कहै छी फूसि नहि बूझब अहाँ
बात पुरना हम सभटा बिसरितौ प्रिय 
     
अहींक दर्शन लय आब हमहुँ बेकल
जीत अहींक हम त' हारि मानितौ प्रिय 
 
मात्राक्रम-22-22-22-22-22(ई बहरे -मीर पर आधारित छैक ) दूटा अलग-अलग लघु के दीर्घ मानवाक छूट लेल गेल छैक ।

बात व्यवहार त' हम देखलौं ओकर 
झूठक पियार त' हम देखलौं ओकर
    
विष भरल देखलौं आखर मे सभटा
तेहन विचार त' हम देखलौं ओकर
 
आइ भोरेसँ मोन अछि उदास हमर
 गप्प बेकार त' हम देखलौं ओकर
     
आँखि भरि दिन रहल आइ तीतल बुझू
प्रेम बेपार त' हम देखलौं ओकर 

कर' चाहैत अछि ओ अपन मनमानी
मारै लथार त' हम देखलौं ओकर

मात्राक्रम- 22-22-22-22-22 (ई बहरे-मीर पर आधारित छैक)
दूटा अलग-अलग लघु के दीर्घ मानवाक छूट लेल गेल छैक।

दोषीसँ सभकेँ मेल भेलै
 निर्दोष सभकेँ जेल भेलै
 
अप्पन त'साजिश रचिक'ठकलक
 आनो क' साथे खेल भेलै
 
केयो बिनू पढ़ने त' पासे 
 केयो त' पढ़िकेँ फेल भेलै
 
परदेस मे छैहे त' सभतरि
 गामो म' सभठां सेल भेलै

 महगी त' देखू हद सँ बेसी        
 घीकेँ जकाँ बूझू तेल भेलै 

अनका क' पाँछा छल तबाहे
माँ बेर मे नहि गेल भेलै 
      
    मात्राक्रम- 221-222 -122
   

गजल



आंगुर    उठा    छोपैत    जेबौ   सूनिले
कल्ला    उगा    ठोकैत   जेबौ   सूनिले

पाछू  सँ  नै  तों  आबि  आगू  घात कर
गरदनि   पकड़ि   मोकैत  जेबौ  सूनिले

लाठी  कलम  छै  चोट  सहमैं कह कते
शेरे    सँ    हम   तोड़ैत   जेबौ   सूनिले

बनबैत   रह   तों   गैंग   संभव  हो जते
भट-भट  तुरत   खसबैत  जेबौ  सूनिले

गलती जँ रहतै मानि लेबौ हँसि क' हम
गलती   बिना    फोड़ैत   जेबौ   सूनिले

                      ✍️ अभिलाष ठाकुर
मात्राक्रम अछि 2212-2212-2212
ई बहरे रजज मुसद्दस सालिम छै! 
सुक्षाव सादर आमंत्रित अछि












शुक्रवार, 4 मार्च 2022

अहाँ बिना सिन्दुर पिठार की हेतै


गजल 

अहाँ  बिना  सिन्दुर  पिठार   की  हेतै
अहाँ  बिना  पावनि  तिहार   की  हेतै

अहीं  हमर  छी  देवता   अहीं  स्वामी
अहाँ  बिना  जीवन  सकार   की  हेतै

भरोस नै अछि जे कखन अहाँ आयब
अहाँ  बिना  बिन्दी  कपाड़    की  हेतै

कते    करी   असगर   पुजाक  तैयारी
अहाँ   बिना   सौंसे   हकार   की  हेतै

बहुत  फरल अछि आम आउ ने गामे
अहाँ   बिना   फारा  अचार   की  हेतै

               ✍🏼 अभिलाष ठाकुर
               
मात्राक्रम अछि 1212-2212-1222
मुफाइलुन-मुस्तफइलुन-मुफाईलुन


विशेष

मैथिली गजल