बुधवार, 23 मार्च 2022

गजल



आंगुर    उठा    छोपैत    जेबौ   सूनिले
कल्ला    उगा    ठोकैत   जेबौ   सूनिले

पाछू  सँ  नै  तों  आबि  आगू  घात कर
गरदनि   पकड़ि   मोकैत  जेबौ  सूनिले

लाठी  कलम  छै  चोट  सहमैं कह कते
शेरे    सँ    हम   तोड़ैत   जेबौ   सूनिले

बनबैत   रह   तों   गैंग   संभव  हो जते
भट-भट  तुरत   खसबैत  जेबौ  सूनिले

गलती जँ रहतै मानि लेबौ हँसि क' हम
गलती   बिना    फोड़ैत   जेबौ   सूनिले

                      ✍️ अभिलाष ठाकुर
मात्राक्रम अछि 2212-2212-2212
ई बहरे रजज मुसद्दस सालिम छै! 
सुक्षाव सादर आमंत्रित अछि












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